नैनीताल: बलात्कार के आरोपी ठेकेदार को अतिक्रमण का नोटिस देने पर हाइकोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब! पालिका ने वापस लिए नोटिस..


नैनीताल- नैनीताल में 12 साल की नाबालिग से बलात्कार के आरोपी ठेकेदार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। नगर पालिका नैनीताल द्वारा आरोपी मो. उस्मान के घर को ध्वस्तीकरण के नोटिस जारी करने पर हाईकोर्ट की फटकार के बाद पालिका ने नोटिस वापस लिए हैं। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर सरकार से भी जबाव मांगा है।
शुक्रवार को हाईकोर्ट में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी उस्मान को पालिका द्वारा जारी नोटिस पर सुनवाई हुई। ध्वस्तीकरण और तोड़फोड़ के नोटिस मामले में हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए एसएसपी नैनीताल और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी से इस नोटिस की प्रक्रिया की पूरी जानकारी मांगी। जिसके बाद पालिका ने आरोपी उस्मान को दिए नोटिस वापस लिए हैं। साथ ही सरकार से भी पूरा रिकॉर्ड मांगा गया है।
नैनीताल में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी मो. उस्मान की पत्नी ने नगर पालिका के अतिक्रमण नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने 1 मई 2025 को जारी उनके भवन ध्वतिकरण के नोटिस को चुनौती दी है। बचाव पक्ष के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष मामले को पेश किया।
अधिवक्ता ने कहा कि पीड़िता एक वरिष्ठ महिला नागरिक हैं। नगर पालिका नैनीताल ने 3 दिन में भवन ध्वस्त करने का नोटिस घर के बाहर चस्पा किया है, घर पर कोई भी मौजूद नहीं है। पीड़िता अपने घर को बचाने के लिए इधर-उधर भाग रही है। पिछले तीन दिनों से वह अपने घर में प्रवेश नहीं कर पाई है। पति ने पहले ही पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। वह बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा की मांग कर रही है। साथ ही कहा कि ये नोटिस सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पहले एसएसपी नैनीताल और अधिशासी अधिकारी मामले में जवाब पेश करें। कोर्ट ने ये भी कहा की क्या सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कानून नहीं है या यह आप पर लागू नहीं होता? गाड़ी पड़ाव क्षेत्र में दुकानों की तोड़फोड़ की घटना का भी संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दूसरों की दुकानों को कैसे नुकसान पहुंचाया जा सकता है? भीड़ के पीछे पुलिस खड़ी दिख रही है, उसके बावजूद पुलिस भीड़ को नियंत्रण नहीं कर पाई।
इतना ही नहीं, कोर्ट ने कहा कि जब आरोपी को हल्द्वानी न्यायालय में पेश किया गया तो वकीलों ने विरोध क्यों किया और ये वकील उसे पीटने क्यों दौड़े। कहा कि कैसे एक वकील किसी को केस की पैरवी करने से रोक सकता है? कहा कि अगर पुलिस सतर्क होती तो यह घटना नहीं होती।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया की लोग उनके घर को जलाने जा रहे हैं और उन्हें सुरक्षा की जरूरत है। कोर्ट के पूछने पर बताया गया की नोटिस को नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित किया गया है।
जवाब में सरकारी वकील ने कहा कि बुलडोजर नहीं चलाया जाएगा। नोटिस में केवल 3 दिनों में स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। उन्होंने नोटिस केवल आरोपी को जारी नहीं किया गया है।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि ये नोटिस सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है, क्या आपके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया जाए? न्यायधीश ने पूछा क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश आप पर लागू नहीं होता है, जिसे आप नहीं मानोगे? ठीक ऐसे ही हालातों में सुप्रीम कोर्ट ने आर्डर पास किया है और आप उसकी अवहेलना करना चाहते हो। कोर्ट के उठने से पहले एसएसपी और अधिशासी अधिकारी से इंस्ट्रक्शन्स प्रस्तुत करने को कहा। हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होनी है।