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छोटा कैलाश यात्रा: नंगे पांव भोले के भक्तों ने की धाम की चढ़ाई, प्रसाद में खुशियों की सौगात पाई

उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भीमताल में भगवान शंकर का भव्य मंदिर है, जिसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है। भोलेनाथ के भक्त यहां पूजा-अर्चना और उनके दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। जबकि महाशिवरात्रि के दौरान भी श्रद्धालुओं की यहां काफी भीड़ देखने को मिलती है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु पूरे भक्ति भाव से यहां आता है और भगवान शिव का ध्यान करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। छोटा कैलाश में लाखों की संख्या में महाशिवरात्रि के दिन भक्त पहुंचे। कई भक्त ऐसे भी थे जिन्होंने 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई नंगे पांव यात्रा की।

नैनीताल के पिनरों गांव की एक पहाड़ी पर स्थित है भोलेनाथ का यह मंदिर। हल्द्वानी से अमृतपुर जो लगभग 35 किमी की दूरी पर है। यहां पहुंचने के बाद पहाड़ की चोटी तक 3 से 4 किमी खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। रास्ते में भक्तों के कुछ देर बैठने की भी उचित व्यवस्था की गई है। पिनरों गांव के ऊंचे पर्वत पर विराजमान छोटा कैलाश मंदिर श्रद्धालुओं में सदैव आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है।

4 किलोमीटर नंगे पांव खड़ी चढ़ाई चढ़ कर भक्तों ने मांगी भगवान शिव से मन्नत

छोटा कैलाश में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और इस बार भी वहां श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में थी। भगवान भोलेनाथ से यहां जिस भी श्रद्धालुओं ने सच्चे मन से अपनी मन्नत मांगी उनकी मन्नत जरूर भोलेनाथ ने पूरी की। यही वजह है कि यहां हर साल भक्तों का महाशिवरात्रि के दिन तांता लगा रहता है। लेकिन कई ऐसे भक्त भी हैं जो नंगे पांव खड़ी चढ़ाई पार कर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचे। यह वही भक्त थे जिनकी मुरादे भगवान भोलेनाथ ने पूरी की, ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त यहां पर अपनी मुराद मांगता है और उसकी मुराद पूरी होने के बाद यहां वह भक्त महाशिवरात्रि के दिन नंगे पांव भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचता है। कई ऐसे भी भक्त थे जो अपनी मन्नत पूरा करने के लिए यहां पर नंगे पांव भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचे थे।

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रास्ते में होती है यह कठिनाइयां लेकिन भोले बाबा के जयकारों से हो जाती है दूर

आपको बता दें कि छोटा कैलाश में भगवान शिव के नंगे पांव दर्शन करना आसान बात नहीं है, क्योंकि यह रास्ता बेहद कठिनाई पूर्ण है। रास्ते में नुकीले पत्थर और काटो का भी सामना करना पड़ता है क्योंकि यह पूरा रास्ता जंगल का है। लेकिन भक्त भगवान शिव के जयकारों के साथ अपना यह रास्ता आसानी से पार कर लेते हैं और जब भगवान शिव के मंदिर पर पहुंचते है तो अपनी सारी पीड़ा भूल जाते हैं, मानों वहां पहुंचने के बाद कुछ चमत्कार सा हो जाता है। भगवान भोलेनाथ के दर्शन के बाद भक्त अपनी सारी पीड़ा भूल जयकारों के साथ बाबा भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। और भोले बाबा अपने भक्तों की सभी मन्नते पूरी करते हैं।

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