उत्तराखण्ड

इस देवी के दर्शन से दूर हो जाती है स्किन की बीमारी

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माता शीतला देवी मंदिर में हर साल नवरात्र में हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए मंदिर में पहुंचते हैं. मंदिर की मान्यता यह है कि माता से जो भी भक्त सच्चे मन से मुराद मांगता है माता उनकी मुरादे जरूर पूरी करती हैं. माता शीतला को मां दुर्गा का अवतार भी माना जाता है और यह मंदिर शक्तिपीठ है. शीतला माता को चर्म रोग ठीक करने वाली देवी भी माना जाता है. भक्तों और माता का अटूट विश्वास भी है भक्त माता पर अटूट विश्वास करते हैं और नवरात्र में हर साल अपनी मनोकामनाएं लेकर माता शीतला के मंदिर आते हैं. यहां माता के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.

शीतला देवी की मान्यता पुराणिक काल से ही है. देवी दुर्गा और महादेव शिव की महिमा गान वाले स्कंद पुराणों में शीतलाष्टक स्त्रोत का वर्णन है. आदियोगी शिव का एक अवतार वैद्यनाथ का भी है, जिसमें वह संसार में उत्पन्न हर बीमारी के निदान और उनके उपाय की रचना करते हैं. इन रचनाओं में ऐसे रोगों का वर्णन मिलता है, जिनके लक्षण त्वचा रोग, हैजा, रक्तअल्पता और अलग-अलग तरह के ज्वर भी शामिल हैं.

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मां करती हैं सभी की मुराद पूरी

मंदिर के पुजारी बताते है कि माता के प्रति लोगों का अटूट विश्वास है और जो भी मंदिर में सच्चे मन से मुराद मांगता है, माता उनकी मुरादें जरूर पूरी करती हैं. नवरात्र में यहां लाखों की संख्या में लोग माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

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कैसे पहुंचें शीतला माता मंदिर

शीतला माता का मंदिर हल्द्वानी से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है. इस दूरी को श्रद्धालु पैदल या वाहन की मदद से तय कर सकते हैं. हल्द्वानी से नजदीकी रेलवे स्टेशन लगभग 8 किलोमीटर दूर काठगोदाम में स्थित है. बता दें कि हल्द्वानी बसों के माध्यम से प्रदेश के कई बड़े शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है.

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