

नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाने के एक मामले में बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला देते हुए कहा कि शादी का वादा करके यौन संबंध बनाने (सेक्स) का हर मामला दुष्कर्म का अपराध नहीं माना जाएगा। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने दुष्कर्म मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला रद्द करते हुए यह बात कही।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हाल ही में पारित फैसले में कहा कि शीर्ष अदालत ने बार-बार यह स्पष्ट किया कि महज शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाने का हर मामला दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। इतना ही नहीं, पीठ ने स्पष्ट किया कि आईपीसी की धारा 375 के तहत अपराध तभी बनता है, जब आरोपी द्वारा शादी का वादा सिर्फ यौन संबंध बनाने की सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया हो और उसका शुरू से ही वादा पूरा करने का कोई इरादा न हो। पीठ ने नईम अहमद बनाम दिल्ली सरकार के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा पारित पूर्व फैसले का हवाला देते हुए यह टप्पिणी की।
पीठ ने कहा कि जहां तक मौजूदा मामले का सवाल है तो इस मामले में नईम अहमद मामले में पारित फैसला पूरी तरह से लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया।
यह था पूरा मामला..
महिला की शिकायत पर एक व्यक्ति के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने 2021 में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया था। महिला ने आरोप लगाया था कि व्यक्ति ने उससे शादी करने और उसके दो बच्चों की देखरेख करने का वादा करते हुए उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाया। बाद में व्यक्ति ने शादी से इनकार कर दिया। मामले के अनुसार शिकायतकर्ता महिला और आरोपी व्यक्ति एक दूसरे को 2011 से जानते थे और दोनों के बीच 2016 में प्रेम हुआ।