राशि जोशी सोशल मीडिया में हल्द्वानी की आंटी के नाम से छाई, कुमाऊंनी वीडियो पसंद कर रहे हैं लोग…
पहाड़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. सोशल मीडिया के दौर में पहाड़ की बेटियों ने भी अपनी प्रतिभा से उत्तराखंड का नाम रोशन किया. साथ ही अपनी बोली भाषा के संरक्षण में भी बेहतर काम कर रही है. जी हां हम बात कर रहे हैं राशि जोशी की. सोशल मीडिया पर हल्द्वानी की आंटी के नाम से धमाल मचा रही राशि जोशी रियल लाइफ में भी सरल स्वभाव और मृदुभाषी है. उनकी वीडियो का आज हर कोई पसंद कर रहा है. इस बात का अंदाजा उनके 73 हजार से ऊपर फैंस से लगाया जा सकता है.
इंस्टाग्राम पर माजाकिया अंदाज में बनाती हैं विडियो
इंस्टाग्राम पर माजाकिया अंदाज में उत्तराखंड की बोली भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए राशि जोशी लगातार काम कर रही है. कुमांऊनी भाषा ने उन्हें सोशल मीडिया पर बड़ी पहचान दिलाई है. आज हर कोई हल्द्वानी की आंटी यानी राशि जोशी के निराले अंदाज का दिवाना है. उत्तराखंड ही नहीं विदेशों में रह रहे उत्तराखंडी प्रवासी भी उनके वीडियो का बेसब्री से इंतजार करते है. 1 दिन में वह करीब 2 से 3 वीडियो इंट्राग्राम में अपलोड करती है.
राशि जोशी से बात की उन्होंने बताया कि इंस्टाग्राम में हल्द्वानी की आंटी के नाम से वह वीडियो अपलोड करती है, खास बात यह है कि उनके ये वीडियो कुमांऊनी भाषा में है. उनका कहना है कि बचपन से पहाड़ से प्यार ने आज उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है. उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी रहे है. इसी के चलते वह पहाड़ी जिलों के साथ ही मैदानी जिलों में रही. लेकिन पहाड़ी भाषा हमेशा उनके खास रही है. जब उन्होंने देखा कि लोग अलग-अलग तरह के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे है तो उन्होंने भी की क्यों ने पहाड़ी भाषा में मजाकिया अंदाज के साथ वीडियो अपलोड कर लोगों तक पहुंचाया जाय और पहाड़ की संस्कृति, बोली भाषा और रीति-रिवाजों को बचाया जाय. फिर क्या था उन्होंने वीडियो बनाकर इंस्टाग्राम पर डालना शुरू किया जो लोगों को पसंद आने लगी.
इंस्टाग्राम में है 96 हजार फाॅलोवर
धीरे-धीरे सफलता की ओर अग्रसर होने लगी. आज इंस्टाग्राम पर उनके 96 हजार के ऊपर फाॅलोवर है.राशि जोशी वर्तमान में हल्द्वानी में रहती है. उनके पति गिरीश जोशी भारतीय सेना में कर्नल के पद पर कार्यरत है. वह अपने बेटे और मां के साथ रहती है। उनका ससुलराल पिथौरागढ़ जिले के बिसाण गांव में है जबकि मायका बागेश्वर के कांडा में है. उन्होंने मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म की पढ़ाई की है. उनके लोगों को हंसाने के अंदाज में एक संदेश होता है. पहाड़ की विलुप्त होती भाषा और शब्दों को वह अपने वीडियो के माध्यम से लोगों तक पहुंचा रही है. उनका कहना है हंसने के साथ ही लोगों तक हमारी बोली भाषा और संस्कृति का संदेश पहुंचे और लोग उन्हें अपनाये. आज के दौर में बच्चों को इंग्लिश की ओर धकेला जा रहा लेकिन वही बच्चे पहाड़ी बोलना तो दूर समझना भी नहीं जानते है. उनका कहना है आप अपने बच्चों को अंग्रेजी जरूर सिखाये लेकिन पहाड़ी बोली भाषा और हमारी संस्कृति के संस्कार भी उन्हें दे. यही उनका उद्देश्य है.