उत्तराखण्डपहाड़ के किस्से-कहानियाँहल्द्वानी

आखिर क्यों भट्ट ने बनाई पहाड़ से दूरी!

भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा से केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट को नैनीताल-ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। भट्ट साल 2019 में पहला लोकसभा चुनाव लड़े। पार्टी ने फिर से 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है। लेकिन इस बार भट्ट का चुनाव लड़ने का तरीका 2019 के मुकाबले बिल्कुल अलग है। अगर ये कहें कि भट्ट ने एक तरह से पहाड़ से पलायन कर लिया है या पहाड़  छोड़ मैदान की तरफ बढ़ गए हैं तो गलत नहीं होगा। क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में जहां उनके चुनाव लड़ने का केंद्र हल्द्वानी हुआ करता था वहीं इन चुनावों में भट्ट ने ऊधम सिंह नगर के पंतनगर को अपना केंद्र बना लिया है।

भट्ट ने ऐसा क्यों किया ये तो भगवान जाने। लेकिन इसके पीछे उनके करीबी तरह-तरह के तर्क देते हैं। यानी जितने मुंह उतनी बातें। कोई कहता है हल्द्वानी में एक कारोबारी बीजेपी नेता की तरफ से दिया घर छोटा पड़ रहा था। लिहाजा दिक्कत थी। इसलिए भट्ट ने तराई में एक बड़ी सी कोठी ली और उसी को चुनाव लड़ने के लिए मुफीद समझा। कोई कहता है कि ये भट्ट की रणनीति है। लेकिन एक बात साफ है कि पंतनगर को चुनाव का केंद्र बनाने से भट्ट की कार्यकर्ताओं से दूरी बढ़ गई है। क्योंकि उनके घर ना तो हल्द्वानी या पहाड़ का कार्यकर्ता जा रहा है और ना ही तराई का। भरे चुनाव में भी भट्ट का बंगला कार्यकर्ता विहीन और उत्साह विहीन नजर आ रहा है। चुनावों के समय प्रत्याशी के घर में रौनक देखने लायक होती है। कार्यकर्ताओं के लिए नाश्ते से लेकर दिन और रात के खाने-पीने की व्यवस्थाएं होती हैं। लेकिन भट्ट के आवास में आपको ना तो कोई व्यवस्थाएं नजर आ रही हैं और ना ही कोई रौनक। और ये हाल तब है जब वो केंद्र के सिंटिंग राज्यमंत्री हैं। जाहिर है चुनावी मौसम में प्रत्याशी के घर ये विरानी अच्छी नहीं। ये संकेत भी अच्छे नहीं। ऐसे में भट्ट के सलाहकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो चुनाव का रुख मुड़ते देर नहीं लगेगी।

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