आखिर क्यों है ‘बेल बाबा’ मंदिर पर लोगों का अटूट विश्वास, आप भी जानिए मंदिर का रोचक इतिहास
आज हम आपको हल्द्वानी में स्थित 150 साल पुराने बेल बाबा मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे है। बेल बाबा की महिमा अपरंपार है। हल्द्वानी से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर रामपुर रोड पर 150 साल पुराना बेलबाबा का मंदिर स्थित है। मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। बेल बाबा के दर्शन करने रोज यहां सैकड़ों भक्त पहुंचते हैं। कहां जाता है एक बार जो बाबा के दर्शन कर ले वह फिर बाबा के पास जरूर पहुंचता है। बाबा के मंदिर में दर्शन के बाद मनोकामना मांगने वाले भक्तों की मुराद जरूर पूरी हुई। 1966 में बेल बाबा मंदिर को भव्य रूप दिया गया। बाबा के मंदिर में लोग खुशहाली और अच्छी खेती के लिए आया करते है।
मंदिर की स्थापना बेल बाबा नाम के योगी ने कराई थी। तब से इस मंदिर का नाम बेलबाबा मंदिर ऱखा गया। माना जाता है कि 150 वर्ष पूर्व शहर में सूखा पड़ गया था। शहर के लोग बाबा के पास गए व बारिश न होने का कारण पूछने लगे। बाबा ने लोगों से उनके वहां से जाने के बाद बारिश होने की बात कही। अगले ही दिन बेल बाबा वहां से गायब हो गए। जिसके बाद क्षेत्र में जमकर बारिश हुई और तभी से मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद भंडारा कराते हैं।
उत्तराखंड डिजिटल की टीम ने मंदिर के पुजारी से बात की पुजारी ने बताया मंदिर में वैसे तो प्रति दिन सैकड़ों भक्त दर्शन करने आते हैं। लेकिन सावन में मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर में पूजा की विशेष व्यवस्था की जाती है। आगे पुजारी ने बताया कि बाबा का मुख्य प्रसाद बेलपत्र और दूध है। शिवरात्रि पर यहां हजारों की संख्या में लोग पूजा करने के लिए आते हैं और जो भी यहां आता है उनकी मुरली जरूर पूरी होती है। यहां मंदिर पर दूध भी चढ़ाने की एक प्रथा है हजारों भक्त इस मंदिर पर दूध चढ़ाने आते हैं साथ ही बेल पत्र व जलाभिषेक बाबा को अति प्रिय हैं।