कमाल! 17 साल पहले जमीन खरीदकर भूल गए पांडे जी, फिर ऐसे मिली…
कपकोट के रहने वाले हरीश चंद्र पांडेय निवासी उत्तरौडा, कपकोट ने 17 साल पहले हल्द्वानी में बड़े शौक से एक जमीन खरीदी। क्योंकि कुमांऊ के मैदान हल्द्वानी में पहाड़ के हर व्यक्ति का सपना होता है कि हल्द्वानी में भी उसका एक छोटा सा घर हो। ऐसा ही एक सपना हरीश चंद्र पांडेय ने भी देखा।
17 साल पहले हरीश चंद्र पांडेय ने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से हल्द्वानी में 2006 में उन्होंने अपने पुत्र गणेश चंद्र पांडेय के नाम से ग्राम जयदेवपुर हल्द्वानी में 30’60 फीट का जमीन (प्लॉट) खरीदा था। लेकिन उसके बाद पांडये जी उस जगह को ही भूल गए… क्योंकि तब से अब तक आस-पास बहुत सारे मकान बन चुके थे। फिर पांडये जी को अपनी ही खरीदी जमीन नहीं मिली।
इस बीच उन्होंने तहसील से लेकर डीएम तक कई अधिकारियों के चक्कर लगाए। लेकिन राहत नहीं मिली। कई अमीन और पटवारियों से भी गुहार लगाई और कई अमीनों से भी अपने खर्चे से जमीन ढूढ़ने का प्रयास करवाया लेकिन पांडये जी की जमीन थी कि मिलने का नाम नहीं ले रही थी।
जिसके बाद थकहार कर पांडये जी कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के जनता दरबार पंहुचे। उन्होंने नम आंखों से कमिश्नर से गुहार लगाई कि साहब मुझे मेरी जमीन नहीं मिल रही है। जबकि उनके पास जमीन की रजिस्ट्री और खतौनी सब कुछ है। कमिश्नर भी उनकी शिकायत सुनकर हैरान रह गए। उसके बाद कमिश्नर ने हल्द्वानी के तहसीलदार को निर्देश दिए कि वह इस जमीन का खसरा लेकर के आए और इस जमीन को मौके पर जा करके ढूंढे।
जिसके बाद तहसीलदार सचिन कुमार पटवारी और अमीनों को लेकर मौके पर पहुचे। फिर ग्राम जयदेवपुर हल्द्वानी में जमीन की जांच हुई। तब जाकर पता चला कि एक खाली प्लॉट है जोकि असल में खाली नहीं था, वहीं खाली प्लॉट पांडये जी का प्लॉट था।
आखिरकार कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत से गुहार लगाने के बाद 17 साल बाद हरीश चंद्र पांडेय को उनका प्लॉट मिल पाया हैं। गौरतलब है कि हरीश चंद्र पांडेय 2004 में शिक्षा विभाग से शिक्षक के पद से रिटायर हुए थे। अब पांडये जी और उनके परिवार ने कमिश्नर दीपक रावत का धन्यवाद है।