आप नैनीताल तो आए ही होंगे! नाव में भी जरूर बैठे होंगे, लेकिन क्या पता है आपको कैसे बनती है नाव? पढ़िए यह खास खबर…


उत्तराखंड में स्थित नैनीताल जो चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ हैं. ये खूबसूरत शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के कारण लोगों को बेहद पसंद आता हैं. इसके साथ ही यहां मौजूद है नैनीझील जिसे देखने के लिए विभिन्न शहरों से पर्यटक पहुंचते हैं और नौकायन का लुफ्त भी उठाते हैं.

तुन की लकड़ी से बनाई जाती है नाव, एक क्विंटल से भी ज्यादा होता है नाव का वजन
नैनीझील की शान और पहचान चप्पू वाली नाव जब झील में उतरती हैं तो ये रंगबिरंगी नाव झील की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है, जितनी महत्वपूर्ण ये नाव हैं इसे बनाने की विधि उतनी ही खास हैं. नाव बनाने के लिए तुन की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता हैं, क्योंकि तुन की लकड़ी मजबूत, बेहद लचीली और हल्की होती हैं जो पानी में भी आसानी से तैरती हैं . साथ ही ये पानी में सड़ती भी नहीं.नाव की लम्बाई 22 फीट जबकि चौड़ाई 4 फीट होती है. जबकि इसका वजन लगभग एक क्विंटल होता है.सबसे पहले नाव का ढाँचा तैयार किया जाता है, जिसके बाद आगे का गोलाई वाला हिस्सा बनाने के साथ ही नाव का तला बनाया जाता हैं. जिसके बाद आपस में लकड़ियों को जोड़ा जाता हैं.
नाव बनाने में तांबे की कीलों का इस्तेमाल किया जाता हैं, क्योंकि इन कीलों में जंग नहीं लगता हैं. नाव बनाने वाले कारीगर बताते है कि नाव बनाने के लिए तुन और शीशम की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता हैं, जो बेहद मजबूत और लचीली होती हैं. साथ ही इसमें लगाने वाली खास तांबे की कीलों को दिल्ली और मुंबई से मंगाया जाता हैं.

एक नाव बनाने में करीब डेढ़ से दो लाख रूपए का आता है खर्च
नाव बनाने में करीब 75 हजार रुपए की लकड़ी लगती है साथ ही करीब 20 हजार रुपए की कीलों का प्रयोग किया जाता हैं. एक नाव को तैयार होने में एक माह का समय लगता है और एक नाव को बनाने में करीब डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता हैं. उन्होने बताया की नाव में साल में दो बार वार्निश किया जाता हैं, ताकि मजबूती बनी रहे. वहीं नाव चलाने के चप्पू चीड़ की लकड़ी से बनाये जाते हैं,जो 8 फीट लम्बे होते हैं और इनकी आगे से चौड़ाई 5 इंच होती है.