कांग्रेस ने की उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार को हटाने की मांग…जानिए वजह

उत्तराखंड कांग्रेस ने केंद्रीय चुनाव आयोग से बड़ी मांग की है। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने केंद्रीय चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर उत्तराखंड के कार्यकारी पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार को हटाने की मांग की है। केंद्रीय चुनाव आयोग को लिखी गई चिट्ठी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाए हैं कि डीजीपी अभिनव कुमार की सत्तारूढ़ दल बीजेपी से नजदीकी है और वह पहले मुख्यमंत्री के विशेष सचिव भी रह चुके हैं। इसलिए उनके पुलिस मुखिया रहते हुए उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में निष्पक्ष चुनाव होना संभव नहीं है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने डीजीपी अभिनव कुमार पर और भी कई गंभीर राजनीतिक आरोप भी लगाए हैं। जिसके बाद अब केंद्रीय चुनाव आयोग का रुख देखने वाला होगा।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा अपनी चिट्ठी में लिखा है कि….”लोकसभा सामान्य निर्वाचन की प्रक्रिया गतिमान है तथा निर्वाचन आयोग द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में दिनांक 19 अप्रैल, 2024 को निर्वाचन की तिथि निर्धारित की जा चुकी है।
महोदय, आपको अवगत कराना चाहूंगा कि उत्तराखण्ड राज्य के वर्तमान पुलिस महानिदेशक श्री अभिनव कुमार पुलिस महानिदेशक बनने से पूर्व वर्तमान मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के प्रमुख सचिव के रूप में तैनात रह चुके हैं तथा सत्ताधारी दल से उनकी निकटता जग जाहिर है।
यह भी अवगत कराना है कि राज्य में विगत वर्ष घटे अंकिता भंडारी जघन्य हत्याकांड जिसको भाजपा नेता के रिजार्ट में अंजाम दिया गया तथा उस हत्याकांड में भाजपा नेता के पुत्र की संलिप्तता पाई गई है। अंकिता भंडारी जघन्य हत्याकांड की जांच आज भी जारी है, परन्तु जांच के विषय में वर्तमान पुलिस महानिदेशक का बयान जिसमें वे सत्ताधारी दल के प्रवक्ता की तरह सरकार का बचाव करते पाये गये हैं, उनके वर्तमान पद की गरिमा के खिलाफ है।
महोदय, किसी भी निर्वाचन में स्थानीय पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ऐसे में राज्य के वर्तमान पुलिस महानिदेशक श्री अभिवन कुमार की सत्ताधारी दल के प्रति निष्ठा से चुनाव की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है तथा उनके पुलिस महानिदेशक पद पर बने रहने से लोकसभा सामान्य नर्वाचन प्रभावित होने की पूर्ण संभावना है।
अतः आपसे आग्रह है कि उत्तराखण्ड राज्य के पुलिस महानिदेशक श्री अभिनव कुमार के कार्यव्यवहार को मद्देनजर रखते हुए उनके पद से तत्काल हटाया जाय ताकि राज्य में निष्पक्ष एवं पारदर्शी निर्वाचन सुनिश्चित कराया जा सके।”
