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120 किलोमीटर दूर नहीं! हल्द्वानी में करें ‘पूर्णागिरि माता’ के दर्शन, होगी हर मनोकामना पूरी…

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उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है और यहां कण-कण देवताओं का वास है। पूर्णागिरि माता के दर्शन करने के लिए वैसे तो हल्द्वानी से 120 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। क्या आपको पता है हल्द्वानी शहर में भी माता का मंदिर स्थापित है। आप माता पूर्णागिरि के दर्शन करना चाहते हैं तो आप हल्द्वानी में बने इस पूर्णागिरी मंदिर में भी आ सकते हैं। यह मंदिर करीब 100 साल पुराना है, यहां के पुजारी प्रमोद भट्ट बताते हैं कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से प्रार्थना मांगता है माता उनकी मुरादे जरुर पुरी करती है। यह पूर्णागिरी मंदिर मुखानी रोड बीजेपी कार्यालय के सामने स्थित है।

क्या कहते हैं पूर्णागिरि मंदिर के पुजारी

ज्यादा जानकारी के लिए हमनें मंदिर की पुजारी प्रमोद भट्ट से बातचीत की उनका कहना है कि मंदिर में दूर-दूर से हजारों भक्त आते हैं जो माता पूर्णागिरी पर विश्वास रहते हैं और माता पूर्णागिरी को वह कुलदेवी भी माना करते हैं। नवरात्र में यहां माता के दर्शन के लिए मेला लगा रहता है।

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हल्द्वानी शहर माता के मंदिर बनने की कहानी

मंदिर के पुजारी प्रमोद भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि हल्द्वानी में जिस भूमि में माता पूर्णागिरि कर मंदिर बनाया गया है। उन्हीं भूमि स्वामी को क़रीब 100 साल पहले माता ने स्वप्न में आकार दार्शन दिए जिनका नाम ज्वालादत्त पांडे है, माता ने उनसे कहा कि टनकपुर सारदा नदी के किनारे वट वृक्ष के नीचे में विराजमान हूं मुझे आओ और लेकर जाओ, जिसके बाद रात में ही ज्वालादत्त पांडे अपनी बैल गाड़ी से निकल गए और जैसा ही माता ने बताया बिल्कुल वैसा ही हुआ। वहां उनको माता की पिंडी मिली और माता की पिंडी लेकर हल्द्वानी पहुंचे और माता पूर्णागिरी का मंदिर स्थापित किया गया। भक्तों पर माता का अटूट विश्वास है और भक्तों का यहां तांता लगा रहता है।

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