डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण है यह औषधि, कुछ ही सैकेंड में हो जाएगी आपकी समस्या दूर
डायबिटीज के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। क्या आप भी डायबिटीज की बीमारी से परेशान है? क्या आपका भी शुगर लेवल कम नहीं हो रहा है? आप भी अस्पताल की दवा खाकर परेशान हो गए हैं, तो आज हम आपको एक ऐसी रामबाण औषधि के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आपका शुगर लेवल कम हो जाएगा और आपको इस बीमारी से छुटकारा भी मिल जाएगा। जिस औषधि की हम बात कर रहे हैं उसे औषधि का नाम है शारदुनिका है और इसे आप सरल भाषा में गुड़मार भी कह सकते हैं।
कैसे करती है यह औषधि काम
आपको बता दें की शारदुनिका का यानी गुड़मार की पत्तियां अगर आप नियमित रूप से चबाकर खाते हैं तो आपका शुगर लेवल कम हो जाएगा. क्योंकि इसकी पत्तियों में एसिड का एक एक्टिव कंपाउंड मौजूद होता है, जिसे जिम्नेमिक एसिड कहा जाता है। जिम्नेमिक एसिड शुगर विरोधी यौगिक हैं, जो पल भर में मीठे की तलब को कम करने का काम करते हैं। इसकी पत्तियां खाने में बेहद कड़वी होती है लेकिन आपने अगर इसकी पत्तियां का इस्तेमाल किया तो आपका शुगर लेवल जरूर कम होगा।
क्या जानकारी दी वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट
उत्तराखंड के हल्द्वानी के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि हमारे वन अनुसंधान केंद्र में डायबिटीज के मरीजों के लिए एक पौधा है जिसका नाम शारदुनिका है इसे जनरली गुड़मार भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इसकी पत्तियों को चबाकर या इसकी पत्तियों का पाउडर बनाकर भी उपयोग कर सकते हैं, जो मरीज डायबिटीज की अंग्रेजी दवाइयां खा कर परेशान हो गए हैं वह इस औषधि का उपयोग कर सकते हैं। अगर उन्होंने बताया कि अगर आप इस पत्ती का उपयोग करेंगे तो इसके बाद मीठा भी असर नहीं करता है तो इसकी पत्ती डायबिटीज मरीजों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो रही है। आयुर्वेद में इस पत्ती का पाउडर बनाकर मरीजों को दिया जाता है लेकिन पाउडर से ज्यादा असर इसकी पत्तियां चबाने से होगा। उन्होंने बताया कि शारदुनिका की पत्ती को जैसे ही आप चबाते हैं तो यह अपना असर तुरंत शुरू कर देती है यानी कुछ ही सैकेंड में इसका असर शुरू हो जाता है।
कहां मिलेगी आपको यह औषधि
आपको बता दें कि आपको यह औषधि हल्द्वानी के वन अनुसंधान केंद्र में आसानी से उपलब्ध हो जाएगी, अगर आपको पता नहीं की हल्द्वानी का वन अनुसंधान केंद्र कहां है तो आपको बता दें की हल्द्वानी का वन अनुसंधान केंद्र कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल से करीब 200 मीटर दूरी पर स्थित है। वन अनुसंधान में आपको यह औषधि बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।