हल्द्वानी: 3 करोड़ की मशीन से सिर्फ 25 ऑपरेशन, हैरान करने वाली है वजह…
स्वास्थ्य विभाग की जमीनी हकीकत कुछ और ही है इलाज के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति होती है। कोरोना काल के समय में हल्द्वानी के बेस अस्पताल में आईसीयू वार्ड बनाया गया था जिसकी कीमत करोड़ों में है। जो अभी भी मरीज के लिए बंद पड़ा है, जिसकी वजह आईसीयू में नर्स और डॉक्टरों की कमी होना है। अब ऐसा ही एक हैरान करने वाली वजह और सामने आई है जो आपको भी सोचने पर मजबूर कर देगी की 3 करोड़ की मशीन का कबाड़ पर क्यों पड़ी है। पूरी खबर आपको विस्तार से बताते है।
सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में 2.99 करोड़ रुपये कीमत की नियोट्रिप्सी मशीन महज 25 ऑपरेशन करने के बाद से कबाड़ में पड़ी हुई है। करीब नौ साल से कमरे में बंद यह मशीन की तकनीक अब चलन से बाहर हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह मशीन 2015 में बेस अस्पताल को पथरी का ऑपरेशन करने के लिए दी गई थी।
मेडिकल साइंस में यह कीमती व उपयोगी मशीन किडनी से पथरी निकालने के काम आती है। इसकी मदद से मरीज की किडनी में मौजूद पथरी के छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए जाते हैं। ये छोटे टुकड़े मरीज की किडनी से मूत्र के जरिए बाहर निकल जाते हैं।
3 करोड़ की मशीन से सिर्फ पथरी के 25 ऑपरेशन
सूत्रों के मुताबिक, बेस अस्पताल में इस मशीन इंस्टालेशन के लिए आए डॉक्टर ने उस वक्त करीब 15 मरीजों के किडनी स्टोन के ऑपरेशन किए थे। इस दौरान दो नर्सों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया। इसके बाद अस्पताल में नियुक्त किए गए यूरो सर्जन ने इससे 10 मरीजों के किडनी स्टोन के ऑपरेशन किए। बाद में इन यूरो सर्जन और विशेष प्रशिक्षण प्राप्त दोनों नर्स का तबादला हो गया। इसके बाद इस मशीन को एक कमरे में रखकर ताला लगा दिया गया। आज नौ साल बीतने के बाद किडनी स्टोन के ऑपरेशन में लिथोट्रिप्सी मशीन की तकनीक चलन से बाहर होने से अब ये मशीन कबाड़ हो चुकी है।अब लेजर तकनीक का कर रहे उपयोग बेस के मौजूदा यूरोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक सती ने बताया कि मशीन की तकनीक पुरानी हो चुकी है। किडनी स्टोन के ऑपरेशन में इस तकनीक का इस्तेमाल अब कहीं जाता है। डॉ. सती बताते हैं कि किडनी से पथरी निकालने के लिए अब लेजर तकनीक चलन में आ चुकी है। इसमें समय भी कम लगता है और इसके परिणाम भी अच्छे हैं। वहीं, बेस अस्पताल के पीएमएस ने बताया कि अस्पताल में काफी समय पहले लिथोट्रिप्सी मशीन खरीदी गई थी। शुरू में उसका इस्तेमाल भी किया गया, लेकिन बाद में विशेषज्ञ चिकित्सक और स्टाफ का तबादला हो जाने पर इसे बंद कर दिया गया। इस मशीन की तकनीक पुरानी हो चुकी है।