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हल्द्वानी के करीब हैं घूमने की यह खूबसूरत जगह! आप भी हो जाएंगे खूबसूरती के दीवाने

पवन सिंह कुंवर, हल्द्वानी।

हल्द्वानी को कुमाऊं का प्रवेश द्वार कहा जाता है और यहां कई सुंदर जगह घूमने के लिए भी हैं। आज हम आपको हल्द्वानी की ऐसी ही पांच जगहों के बारे में बताने जा रहे है जहां आप अपने परिवार के साथ घूमने आ सकते हैं। हल्द्वानी की बेस्ट जगह जिसमें से आपको हल्द्वानी के शीतला माता मंदिर, कालीचौड़ माता मंदिर, गौला बराज, शीतलाखेत झूला पुल और जिया रानी मंदिर रानीबाग में आप घूमने आ सकते हैं, आपको यहां कई जानकारियां प्राप्त करने को मिलेंगी।

1. देवों की भूमि उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक और लोकप्रिय धार्मिक स्थल स्थित हैं। इन धार्मिक स्थलों में लोगों की गहरी आस्था है। आज हम आपको उत्तराखंड के ऐसे ही एक प्रसिद्ध मां शीतला देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नैनीताल जिले के हल्द्वानी में काठगोदाम स्थित उच्च चोटी पर है। मां शीतला देवी मंदिर क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आस्था का केंद्र है। माता शीतला को मां दुर्गा का अवतार भी माना जाता है। यहां माता के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पैदल यात्रा कर भी पहुंचते हैं।माता शीतला का मंदिर बहुत ही आकर्षक मंदिर है। इसके आसपास का वातावरण भी श्रद्धालुओं को काफी भाता हैं। मां शीतला को चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है। आप यहां आकर माता शीतला देवी के दर्शन कर सकते हैं।

2. जंगल के बीचोंबीच मां काली का प्राचीन मंदिर हल्द्वानी के गौलापार में स्थित है. कालीचौड़ मंदिर (Kalichaur Temple Haldwani) ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है. कथित तौर पर पश्चिम बंगाल के रहने वाले एक भक्त को देवी ने सपने में दर्शन दिए थे और इस जगह पर जमीन में दबी अपनी प्रतिमा के बारे में बताया था. जिसके बाद जमीन की खुदाई कर मां काली समेत सभी मूर्तियों को बाहर निकाला गया औरजंगल के बीचोंबीच ही देवी का मंदिर स्थापित किया गया, जिसे आज कालीचौड़ मंदिर नाम से जाना जाता है. कालीचौड़ मंदिर काठगोदाम से करीब 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मान्यता है कि मां काली मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी करती हैं.

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3. उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर के रानीबाग क्षेत्र में कई धार्मिक स्थल हैं। इन्हीं में से एक जिया रानी का मंदिर (Jiya Rani Temple in Ranibagh Haldwani) है। वह कत्यूरी वंश की रानी थीं. हर साल कत्यूरी वंश के लोग माता रानी की पूजा करने रानीबाग आते हैं। हल्द्वानी की रानीबाग में माता जिया रानी की वह गुफा आज भी मौजूद है, जिस गुफा से वह सीधे हरिद्वार निकली थीं। यहां एक विशाल शिला भी है, जिसे जिया रानी का घाघरा माना जाता है। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को रानीबाग में कत्यूरी वंश के लोग और सैकड़ों ग्रामवासी अपने परिवार के साथ आते हैं और ‘जागर’ लगाते हैं। इस दौरान यहां पर सिर्फ ‘जय जिया’ का ही स्वर गूंजता है. लोग जिया रानी को पूजते हैं और उन्हें ‘जनदेवी’ और न्याय की देवी मानते हैं।

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4. गौला बैराज: हल्द्वानी से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित सिमलखेल गोला बांध है, जहां रोज हजारों की संख्या में लोग गोला के किनारे ठंडे और शांत वातावरण में समय बिताने के लिए आते हैं। हल्द्वानी में आप अगर नेचर के बीच वक्त गुजारना चाहते हैं तो गौला में बने झूला पुल चले जाएं, जहां पहाड़ों की खूबसूरती और नदी के किनारे विकसित किए गए पार्क आपका मन मोह लेंगे।

5. उत्तराखंड के हल्द्वानी से महाज 5 किलोमीटर और काठगोदाम से 2 किलोमीटर दूर है सिमलखेल गौला बांध (पुल). यहां हर वीकेंड पर हजारों की संख्या में लोग घूमने आया करते हैं। गौला नदी के किनारे ठंडे और शांत वातावरण में समय बिताने के लिए लोग आया करते हैं और वातावरण के अनुकूल स्वच्छ पर्यावरण का भी आनंद लेते हैं। हल्द्वानी में आप अगर नेचर के बीच वक्त गुजारना चाहते हैं तो गौला नदी पर बने इस झूला पुल पर चले जाएं। यहां पहाड़ों की खूबसूरती और नदी के किनारे विकसित किए गए पार्क और सुंदर रिजॉर्ट आपका मन मोह लेंगे।

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