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हल्द्वानी: एकमात्र अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मंदिर, नहीं होती रुपये-पैसों की कमी!

उत्तर भारत का एकमात्र अष्टादश भुजा महालक्ष्मी मंदिर हल्द्वानी से सटे बेरीपड़ाव में स्थित है। मंदिर में 18 भुजाओं वाली मां महालक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान है। लोगों में इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां पूजा-अर्चना करता है, अष्टादश महालक्ष्मी माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उसके पास कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

महालक्ष्मी मंदिर की विशेषता

महालक्ष्मी मंदिर की विशेषता यह है कि हर दिन भक्तों का यहां तांता लगा रहता है और माता लक्ष्मी के मंदिर में भक्तों का अटूट विश्वास है। जो भी भक्त माता महालक्ष्मी के मंदिर में आता है वह दोबारा लौट कर जरूर आता है। माता महालक्ष्मी हर भक्ति की मुराद जरूर पूरी करती है। यही कारण है कि यहां हर वर्ष के 365 दिन भक्तों की भी लगी रहती है।

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आपको माता लक्ष्मी की प्राचीन मंदिर की विशेषता बताते हैं माता लक्ष्मी मंदिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है, यहां पर माता लक्ष्मी के अलावा और अन्य देवता भी विराजमान है। लेकिन सबसे महत्व माता लक्ष्मी को दिया जाता है। क्योंकि माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है और यहां भक्त हर वर्ष माता लक्ष्मी की पूजा करने आया करते हैं। पहले इस मंदिर पर सिर्फ माता की मूर्ति थी लेकिन अब यहां पर अन्य देवी देवताओं को भी विराजमान किया गया है। मंदिर को इतना अब भव्य रूप दिया गया है कि हर कोई इस मंदिर पर आकर शीश झुकाता है।

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