हल्द्वानी में इस जगह ‘शनिदेव’ का सबसे बड़ा मंदिर, यहां भगवान शनिदेव होते हैं मेहरबान

सूर्यपुत्र भगवान शनि देव को न्याय और कर्मों का देवता माना जाता है। 9 ग्रहों के समूह में इन्हें सबसे क्रूर और गुस्सैल माना गया है। लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। शनिदेव केवल उन्हीं लोगों को परेशान करते हैं, जिनके कर्म अच्छे नहीं होते और भगवान शनिदेव जिस पर मेहरबान होते हैं उसे धन धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं।

ऐसा माना जाता है भगवान शिव ने शनिदेव को नौ ग्रहों में न्यायधीश का कार्य सौंपा है। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है, कहीं न कहीं हर जगह शनि भगवान का एक विशाल मंदिर होता है। लेकिन हल्द्वानी से 6 किलोमीटर दूर स्थित रानीबाग में शनि देव का विशाल मंदिर स्थित है। शनिदेव एक ऐसे भगवान हैं जिसे हर कोई न्याय का देवता मानता है और शनि के मंदिर में जरूर पूजा करता है। शनि भगवान अपने भक्तों के प्रति दयालु भी माने जाते हैं, जो भी शनिदेव से सच्चे मन से मुराद मांगता है सच्चे मन से मनोकामना मांगता है शनि देव उस पर अपनी कृपा जरूर बरसाते हैं।

हल्द्वानी के रानीबाग में स्थित शनि मंदिर में हर रोज 7 बजे शनि देव की पूजा अर्चना और आरती की जाती है। मंदिर में हर शनिवार को भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। सबसे ज्यादा भक्त शनिवार को शनि भगवान के मंदिर में दर्शन करने और पूजा-अर्चना के लिए सुबह से ही पहुंचने लगते हैं. अमावस्या के दिन शनि के मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। जिसमें शनि के नवग्रहों की भी पूजा की जाती है। हल्द्वानी के रानीबाग में स्थित शनिदेव के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है क्योंकि हल्द्वानी शहर का सबसे बड़ा मंदिर यही स्थित है।

‘शनि देव की असली कहानी क्या है?
शास्त्रों के अनुसार, शनि देव भगवान सूर्य तथा माता छाया के पुत्र हैं। इन्हें क्रूर ग्रह का श्राप उनकी पत्नी से प्राप्त हुआ था। इनका वर्ण कृष्ण है और यह कौए की सवारी करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे और बाल्यावस्था में ही भगवान श्री कृष्ण की आराधना में लीन रहते थे।
क्या करने से शनिदेव खुश होते हैं.
शनि यंत्र की पूजा करें…
शनि मंत्र का जाप करें …
कुत्तों सेवा करें …
हनुमान जी की आराधना करें …
शिव जी की पूजा करें…
