हल्द्वानी में यहां मौजूद है पाकिस्तान के दांत खट्टे करने वाला भारतीय सेना का जंगी टैंक!


हल्द्वानी- भारतीय सेना ने पहलगाम में हुई कायराना करतूत का पाक में बैठे आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। बुधवार तड़के भारतीय वायु सेना ने पाक में बने नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। जिसमें कई आतंकवादी मारे गए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीयों में खुशी देखने को मिल रही है। और भारतीय सेना के पराक्रम को सलाम कर रहे हैं। इस पराक्रम के बाद लोग भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1947 में हुए युद्ध को भी याद कर रहे हैं। जब दोनों देश आमने-सामने आ गए थे। लेकिन जब भी भारत के सामने पाकिस्तान आया उसे मुंह की ही खानी पड़ी।
इस युद्ध में सबसे बड़ा रोल निभाया भारतीय सेना के साजो-सामान ने साल 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध की यादें आज भी बहुत सारे लोगों के दिमाग में मौजूद हैं। और इसी युद्ध को जीतने में भारतीय सेवा के विजयंत टैंक ने अपना अहम योगदान दिया था। पाकिस्तान की दांत खट्टे करने वाला टैंक इस समय उत्तराखंड के हल्द्वानी में मौजूद है।
कुमाऊं का देश सेवा में स्वर्णिम इतिहास रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर अब तक जब भी देश को योद्धा की जरूरत पड़ी, यहां के फौलादों ने दुश्मनों को दांतों तले अंगुली चबाने पर मजबूर किया। यही नहीं कई ने देश रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति तक दे दी। हल्द्वानी में नैनीताल हाईवे से सटे दो पार्को में सेना का अंग रहा टैंक और एयरक्राफ्ट सजाया गया है।
नगर निगम ने 7 मार्च विजयंत टैंक एक अप्रैल को दो पार्को में स्थापित किया। इन्हीं के नाम से ही पार्को का नाम भी रख दिया है। स्थानीय युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित करने के साथ ही ये टैंकर कुमाऊं भर में सैर-सपाटे को आने वाले लोगों को आकर्षित करते हैं। सुबह से रात तक लोग इन टैंकों के आगे सेल्फी लेने के साथ ही सोशल मीडिया में साझा कर रहे हैं।
युद्ध के मौदान में सेना का सारथी था विजयंत टैंक
विजयंत टैंक 1971 भारत-पाक में पाकिस्तान के अत्याधुनिक पैटर्न टैंक यानि जंगे-खैबर की धज्जि्यां उड़ाने वाले और युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाने वाला विजयंत टैंक कई युद्धों में सेना का सारथी रहा है। सैन्य उपकरण बनाने वाली कंपनी विकर्स आर्मस्टांग ने वर्ष 1963 में इस टैंक को बनाया थ। 1965 से 1986 तक इसका उत्पादन विजयंत प्रोडक्शन ने किया। इस टैंक ने देश की सरहदों की हिफाजत बखूबी की। वर्ष 2008 में विजय गाथा लिखने वाले विजयंत टैंक को सेना की सेवा से रिटायर किया गया था।