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रील बनाने वाले पुलिस वालों की अब बनेगी रेल! रील बनाने पर लगी रोक

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सोशल मीडिया में रील, वीडियो और व्लाग बनाने वाले पुलिस वालों की अब खैर नहीं। क्योंकि ऐसा करने से इनकी नौकरी खतरे में आ सकती है। पुलिस मुख्यालय ने रील बनाने वाले पुलिस वालों को चेतावनी जारी की है। और पुलिस, सोशल मीडिया नियमावली के मुताबिक ऐसे पुलिस वालों को चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही इसकी रिपोर्ट भी तलब की गई है।

अब उत्तराखंड पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया का व्यक्तिगत प्रयोग नहीं कर सकेंगे। देहरादून पुलिस मुख्यालय ने पहली बार सोशल मीडिया पॉलिसी जारी करते हुए कई प्रतिबंध लगाए हैं। उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है।

आईजी पुलिस आधुनिकीकरण डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि पुलिस अनुशासित फोर्स है और उसके लिए तमाम तरह की कर्मचारी आचरण नियमावलियां हैं। लेकिन यह देखने में आ रहा है कि सोशल मीडिया पर पुलिसकर्मियों द्वारा वर्दी में वीडियो या रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर डाले जा रहे हैं। इससे पुलिस की छवि धूमिल हो रही है। इसलिए इसे अब पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।

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उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मी अपने कार्यालय या कार्यस्थल पर भी कोई रील या वीडियो बनाकर व्यक्तिगत सोशल मीडिया पर नहीं चला सकेंगे। पुलिस की टैक्टिस, फील्ड क्राफ्ट, विवेचना या अपराध की जांच में प्रयुक्त होने वाली तकनीक की जानकारी भी साझा नहीं करेंगे। किसी भी गुप्त ऑपरेशन या अभिसूचना संकलन की भी जानकारी अपलोड नहीं कर सकेंगे।

सोशल मीडिया पॉलिसी का पालन करना अनिवार्य

आईजी नीलेश भरणे के अनुसार सोशल मीडिया पॉलिसी के उल्लंघन पर पुलिसकर्मी के खिलाफ उत्तरांचल अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश-2002 और उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2003 में विहित प्रक्रिया के अधीन नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड सोशल मीडिया पॉलिसी-2024 का पालन करना अनिवार्य होगा।

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बिना अनुमति किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे

थाना, पुलिस लाइन, निरीक्षण, पुलिस ड्रिल, फायरिंग में भाग लेने का लाइव टेलीकास्ट या पुलिस कार्रवाई से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं कर पाएंगे। किसी प्रकार की कोचिंग, लेक्चर, लाइव प्रसारण, चैट और वेबिनार में बिना अनुमति भाग नहीं ले सकेंगे। अपराध के खुलासे, विवेचनाधीन या न्यायालय में लंबित प्रकरणों से जुड़ी कोई गोपनीय जानकारी, दस्तावेज, रिपोर्ट अथवा पीडित का प्रार्थना-पत्र अपलोड नहीं करेंगे।

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