होली का धार्मिक महत्व? क्या है कहानी और किस भगवान की जाती है पूजा…
इतिहास होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है जो होली, होलिका या होलाका नाम से मनाया जाता था। वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव भी कहा गया है। इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों में भी इस पर्व का प्रचलन था लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था। होली दो दिनों का त्यौहार है। पहले दिन, होलिका दहन समारोह आयोजित किया गया जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दूसरे दिन लोग अपने प्रियजनों के साथ रंग और पानी से खेलते हैं। होली फाल्गुन मास की आखिरी पूर्णिमा को मनाई जाती है।
होली का धार्मिक महत्व क्या है?
हिंदू धर्म के अनुसार, होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है। पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है। होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का त्योहार है।
होली मनाने के पीछे की कहानी क्या है?
हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई। किंतु भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा।
होली त्योहार मनाने से क्या लाभ है?
परंपरा के अनुसार जब लोग जलती होलिका की परिक्रमा करते हैं तो होलिका से निकलता ताप शरीर और आसपास के पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। और इस प्रकार यह शरीर तथा पर्यावरण को स्वच्छ करता है। दक्षिण भारत में जिस प्रकार होली मनाई जाती है, उससे यह अच्छे स्वस्थ को प्रोत्साहित करती है।
होली पर किस भगवान की पूजा की जाती है?
होली समारोह तीन हिंदू देवताओं, भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और देवी राधा के सम्मान में मंदिरों और सांस्कृतिक केंद्रों में आयोजित किए जाते हैं। सार्वजनिक समारोहों के बाद परिवार अक्सर उत्सव के भोजन के लिए इकट्ठा होते हैं।