बनभूलपुरा कांड के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक की जमीन बचाने कोर्ट पहुंचे सलमान खुर्शीद…आखिर कोर्ट में खुर्शीद ने क्या दी दलील…पढ़िए


बनभूलपुरा कांड का मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक भले ही 8 फरवरी की घटना के बाद से ही फरार चल रहा हो लेकिन उसके रुतबे में कोई कमी नहीं। बुधवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में अब्दुल मलिक की पत्नी साफिया मलिक की याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका में मलिक ने नगर निगम की अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को गलत बताते हुए इसे रोकने की मांग की थी। साथ ही विवादित जमीन पर अपना मालिकाना हक जताया था। लेकिन हाईकोर्ट ने इस रोक से इंकार कर दिया था। जमीन के मालिकाना हक और नगर निगम की कार्रवाई पर हाईकोर्ट भविष्य में सुनवाई करेगा। लेकिन इस मसले पर एक खास बात देखने को मिली। और ये थी मलिक की पैरवी करने वाली वकील। मलिक ने अपनी पैरवी के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, देश के नामी और सबसे महंगी फीस लेने के लिए पहचान रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद का सहारा लिया। सलमान खुर्शीद ने वर्चुअल मीडियम से अपने क्लाइंट मलिक का पक्ष हाईकोर्ट के समक्ष रखा।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा के कथित मलिक के बगीचे से अवैध कब्जा हटाए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मलिक के बगीचे से अतिक्रमण हटाए जाने के मामले में सुनवाई करते हुए बुधवार को सरकार से 10 मई तक जवाब पेश करने को कहा है। मामले को मलिक के बगीचे निवासी साफिया मलिक की ओर से चुनौती देते हुए कहा गया कि सरकार की ओर से अतिक्रमण हटाने के लिए जो कार्यवाही की गई वह गलत है। क्योंकि उत्तराखंड सरकार की ओर से सार्वजनिक परिसर बेदखली अधिनियम (पीपीपी) के तहत कार्यवाही नहीं की गई।
याचिकाकर्ता मलिक की ओर से अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने वर्चुअली पैरवी की। सलमान खुर्शीद ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि उन्हें सुनवाई का मौका तक नहीं दिया गया है। अतिक्रमण हटाने को लेकर जो नोटिस जारी किया गया वह भी गलत है। नियमावली का पालन नहीं किया गया।
दूसरी ओर सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थाई अधिवक्ता (सीएससी) चंद्रशेखर रावत ने कहा कि सरकार ने पॉलिसी के तहत कार्रवाई की है। आवंटित भूमि 1937 में कृषि, बागवानी के लिए लीज पर दी गई थी और इसकी लीज उसके 10 सालों के भीतर ही खत्म हो गई थी। लेकिन इस बीच मलिक ने ज्यादातर जमीन अवैध प्लॉटिंग कर बेच डाली। इसलिए पीपी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को इस मामले में 10 मई तक जवाब देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही याचिकाकर्ता को भी जवाबी हलफनामा देने को भी कहा है। इस मामले की सुनवाई अब 10 मई को होगी।