कभी देश विदेश तक भेजी जाती थी HMT की घड़ियां! अब खंडहर में तब्दील बिल्डिंग, जानें HMT का शानदार इतिहास…
कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी के रानीबाग में स्थापित हुई एचएमटी फैक्ट्री 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इसे स्वीकृति दी थीं। उद्योग मंत्री नारायण दत्त तिवारी ने शिलान्यास और 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। उत्तराखंड की शान समझी जाने वाली फैक्ट्री में 2016 से ताला लटक गया। फैक्ट्री व आवासीय कॉलोनियां खंडहर हो चुकी है। एक दौर था जब एचएमटी की घड़ीयां लोगों के दिलों पर राज किया करती थी और हल्द्वानी शहर में ही नहीं, पूरे देश विदेश तक एचएमटी की घड़ियां मशहूर थीं।
आपको बता दें कि एचएमटी फैक्ट्री हल्द्वानी शहर के रानीबाग में स्थिति है। अभी भी एचएमटी फैक्ट्री के कुछ कर्मचारी एचएमटी की जर्जर बिल्डिंग में रहने को मजबूर हैं। चलिए एचएमटी के बारे में विस्तार से जानते हैं। एचएमटी इस नाम से करोड़ों भारतीयों का दिलों का रिश्ता था। देश विदेशों तक लोग एचएमटी की घड़ियां पहना करते थे। एक समय हुआ करता था जब एचएमटी की घड़ियां लोगों की शान का प्रतीक हुआ करती थी। लोग एचएमटी की घड़ियां पहनना स्टेटस का सिंबल माना करते थे। लेकिन वक्त की रफ्तार के आगे एचएमटी टिक न सकी और बंद हो गई। एचएमटी भारत की सबसे बड़ी घड़ी निर्माता कंपनी थी।
एचएमटी को साल 1953 में भारत सरकार के द्वारा शुरू किया गया था। एचएमटी का पूरा नाम hindustan machine tools है। शुरुआत में इसका काम मशीन एक टूल्स बनाने का था, लेकिन कुछ सालों में इस कंपनियां ने घड़ियां, ट्रैक्टर, प्रिंटिंग मशीनरी, बेरिंग बनाना भी शुरू किया. एचएमटी ने दुनिया में काफी सारी अच्छी टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ मिलकर बेहतर प्रोडक्ट भारत को दिए जो यहां काफी ज्यादा पसंद किए गए। एचएमटी की घड़ियां भारत में काफी फेमस थी।
एचएमटी भारत में काफी सारे प्रोडक्ट बनाती थी लेकिन इसका मुख्य प्रोजेक्ट घड़ियां बनाना था। वहीं दूसरी ओर साल 1995 में टाइटन को घड़ियां बनाने का लाइसेंस मिला, जिसके चलते लोगों ने एचएमटी को छोड़कर टाइटन को पसंद किया। इस वजह से कंपनी धीरे-धीरे नुकसान में जाने लगी और साल 2016 में एचएमटी को पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
एचएमटी थी देश की शान
एचएमटी एक समय पर देश की शान हुआ करती थी। कहा जाता है कि एचएमटी की घड़ी को खरीदा नहीं बल्कि कमाया जाता था। क्योंकि ये शादी में, बर्थडे पर या अच्छे मार्क्स लाने पर बड़ों के आशीर्वाद के रूप में मिला करती थी. आज भी लोगों के दिलों में इससे जुड़ी कई यादें जिंदा है। एचएमटी फैक्ट्री में कार्यरत रहे वीके श्रीवास्तव ने बताया कि एचएमटी एक ऐसी कंपनी थी जो सिर्फ मैकेनिकल घड़ियां बनाया करती थी। उन्होंने बताया कि गवर्नमेंट की कुछ ऐसी पॉलिसी रही जिस वजह से एचएमटी फैक्ट्री को बंद किया गया वीके श्रीवास्तव आज भी एचएमटी फैक्ट्री के जर्जर बिल्डिंग में रहने को मजबूर हैं।