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अयोध्या में बीजेपी की हार के बाद निशाने पर आए अयोध्यावासी!

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रामनगरी अयोध्या के फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी की हार काफी चर्चा का विषय बन गई है। जहां विपक्ष राम मंदिर मुद्दे को निष्फल बता रहा है। तो तमाम लोग अयोध्यावासियों को लेकर सोशल मीडिया इंटरनेट साइटों पर तरह-तरह के कटाक्ष कर रहे हैं। इन सबके बीच अयोध्या की व्यथा किसी ने नहीं समझी।

बता दें कि बीजेपी पूरी तरह से कॉन्फिडेंट थी कि राम मंदिर की वजह से पार्टी को लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा। चुनावी प्रचार के दौरान देशभर में पीएम मोदी से लेकर तमाम बीजेपी के नेताओं ने राम मंदिर का जिक्र करते हुए वोट भी मांगे।

बीजेपी ने तीसरी बार फैजाबाद-अयोध्या लोकसभा सीट से लल्लू सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया। पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि लल्लू सिंह इस लोकसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाएंगे। हालांकि, अयोध्या के चुनावी रिजल्ट ने पूरे देश को चौंका कर रख दिया। अयोध्या के लोगों ने बीजेपी उम्मीदवार की जगह समाजवादी पार्टी नेता अवधेश प्रसाद पर भरोसा जताया। अवधेश प्रसाद ने लल्लू सिंह को 54,567 वोटों से मात दे दी।

यह रही हार की मुख्य वजह?

लल्लू सिंह के खिलाफ अयोध्या क्षेत्र के लोगों में एंटी इन्कंबैंसी थी। अयोध्यावासियों में सांसद के कामकाज को लेकर नाराजगी थी। राम मंदिर के निर्माण की वजह से मंदिर परिसर के आसपास सड़कों को चौड़ा करने और बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए सरकार ने कई लोगों को दुकानों और घरों को तोड़े, जिसकी वजह से लोगों में नाराजगी थी।

लल्लू सिंह अपनी जीत को लेकर ओवर कॉन्फिडेंस थे। चुनाव प्रचार के दौरान लोगों तक उनका संदेश सही ढंग से नहीं पहुंच सकें। सांसद लल्लू सिंह पर अयोध्या क्षेत्र में जमीन खरीद कर उसे ऊंचे दामों में बेचने का आरोप भी लगा। विपक्षी नेताओं द्वारा अयोध्या में जमीन के खरीद-बिक्री का मुद्दा भी जोरों-शोरों से उठाया गया था। लोकसभा चुनाव के दौरान लल्लू सिंह का एक वीडियो काफी वायरल हो गया था, जिसमें वो कह रहे थे कि संविधान में संशोधन करने के लिए 272 सीटों के बहुमत वाली सरकार को भी संघर्ष करना होगा, इसलिए दो-तिहाई से अधिक बहुमत की आवश्यकता है।”

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राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि यह विवादास्पद टिप्पणी बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ चली गई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा,”मैं अयोध्या के लोगों का धन्यवाद देता हूं। आपने समय-समय पर अयोध्या का दर्द देखा होगा। उन्हें उनकी जमीन के लिए उचित मुआवजा नहीं दिया गया, आपने उन पर झूठे मुकदमे लगाकर जबरन उनकी जमीन छीन ली। इसलिए, मुझे लगता है कि अयोध्या और आस-पास के इलाकों के लोगों ने बीजेपी के खिलाफ वोट दिया।

जनादेश के पीछे अयोध्या की जो असहमति और पीड़ा व्यक्त हो रही है, वैसी पीड़ा और असहमति से अयोध्या राम मंदिर का निर्णय आने के बाद से ही गुजरने लगी थी। चाहे वह राम मंदिर रहा हो या उससे पूर्व भव्य उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला दीपोत्सव।

इसे वैश्विक महत्व का बनाने के प्रयास में अयोध्या की अनदेखी होने लगी। आए दिन अति विशिष्ट अतिथियों के आगमन और मार्गों पर रोक-टोक से अयोध्या के लोग अपने ही नगर में बेगाने सिद्ध होने लगे। रही-सही कसर विकास के नाम पर व्यापक तोड़-फोड़ से हुई। तोड़-फोड़ से नागरिकों एवं व्यापारियों को विस्थापन का सामना करना पड़ा। इसके एवज में उन्हें मुआवजा तो नाममात्र का मिला, इसके बाद जब पुनर्वास के लिए सरकारी बिजनेस कांप्लेक्स में दुकान आवंटित कराने गए, तो उन्हें 20 से 30 गुना तक की कीमत चुकानी पड़ी।

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जो राम और राम मंदिर संपूर्ण अयोध्या की थाती है, वहां जाने के भी लिए स्थानीय धर्माचार्यों एवं नागरिकों को किसी विशेषाधिकार की अपेक्षा थी, किंतु तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस बारे में किसी तरह का विचार करने की जरूरत नहीं समझी। वह लाइन लगा कर अति सामान्य श्रद्धालु की तरह राम मंदिर का दर्शन करें या विशेष पास के लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों लेकर संघ और विहिप के किसी प्रभावी पदाधिकारी की चिरौरी करें।

सोशल मीडिया में निशाने पर अयोध्यावासी

वहीं अयोध्या में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त को सनातन धर्म में विश्वास रखने वाली देश की जनता स्वीकार नहीं कर पा रही है। सोशल मीडिया पर अयोध्या की हार को लेकर तीखी प्रतिक्रिया आ रही है और लोग अयोध्यावासियों को जमकर कोस रहे हैं। हर प्लेटफार्म पर लोग अयोध्यावासियों को सीट हराने के लिए लानत, मलानत भेज रहे हैं। एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम व व्हाट्सअप पर यूजर इस करारी हार के लिए जिम्मेदार फैजाबाद संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं।

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