चैत्र नवरात्रि में करें हल्द्वानी के इन 2 मंदिरों के दर्शन, खुल जाएगा सोया भाग्य


देवों की भूमि उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक और लोकप्रिय धार्मिक स्थल स्थित हैं। इन धार्मिक स्थलों में लोगों की गहरी आस्था है। आज हम आपको उत्तराखंड के ऐसे ही एक प्रसिद्ध मां शीतला देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नैनीताल जिले के हल्द्वानी में काठगोदाम स्थित उच्च चोटी पर है। मां शीतला देवी मंदिर क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आस्था का केंद्र है। माता शीतला को मां दुर्गा का अवतार भी माना जाता है। नवरात्र शुरू हो गए है और माता शीतला देवी के मंदिर में भक्तों की पूरे दिन भीड़ उमड़ी रहती है। शीतला देवी माता की मान्यता है कि वह अपने भक्तों की मुराद जरूर पूरी करती हैं। यही वजह है कि नवरात्र में माता शीतला देवी का मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं। माता शीतला को शीतलता का प्रतीक भी माना जाता है। यहां माता के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पैदल यात्रा कर भी पहुंचते हैं। माता शीतला का मंदिर बहुत ही आकर्षक मंदिर है। इसके आसपास का वातावरण भी श्रद्धालुओं को काफी भाता हैं। मां शीतला को चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है।

2. हल्द्वानी शहर में दूसरा मंदिर जो सबसे पुराना है, वह है कालीचौड़ मंदिर। यहां भी नवरात्रि में भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। मान्यता है कि कालीचौड़ मंदिर में सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जंगल के बीचों बीच मां काली का प्राचीन मंदिर हल्द्वानी के गौलापार में स्थित है। कालीचौड़ मंदिर ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी रहा है। बताया जाता है कि पश्चिम बंगाल के रहने वाले एक भक्त को देवी ने सपने में दर्शन दिए थे और इस जगह पर जमीन में दबी अपनी प्रतिमा के बारे में बताया था। जिसके बाद जमीन की खुदाई कर मां काली समेत सभी मूर्तियों को बाहर निकाला गया और जंगल के बीचोंबीच ही देवी का मंदिर स्थापित किया गया, जिसे आज कालीचौड़ मंदिर नाम से जाना जाता है।
