उत्तराखंड : छह महीने में होंगे निकाय चुनाव! शहरी विकास सचिव ने बताई तैयारियां
नैनीताल हाईकोर्ट में मंगलवार को नगर निकाय चुनाव न कराए जाने की जनहित याचिका पर सुनवाई की। हाईकोर्ट कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने दो अलग-अलग जनहित याचिका पर एक साथ सुनवाई की।
इस दौरान अपर सचिव शहरी विकास व निदेशक नितिन भदौरिया कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। उन्होंने कोर्ट में बताया कि निकाय एक्ट के आधार पर निकायों के निर्वाचित बोर्ड भंग कर छह माह के लिए प्रशासकों की तैनाती की गई है।
उत्तराखंड में नगर निकायों के चुनाव छह माह के भीतर होंगे। उन्होंने बताया कि अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट 26 जनवरी तक मिल जाएगी। जिसके बाद आरक्षण तय होगा। राज्य में निकायों का परिसीमन पूरा हो चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग फरवरी तक निकायों की निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन कर देगा।
राज्य सरकार की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया है कि सरकार ने निकायों के चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और आरक्षण तय करने के लिए एक सदस्यीय न्यायिक कमीशन का गठन भी किया है।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से भी बताया गया कि फरवरी में निकायों की निर्वाचक नामावली का अंतिम प्रकाशन कर दिया जाएगा। कोर्ट ने बयान को रिकॉर्ड में लेते हुए अगली सुनवाई 16 अप्रैल के लिए नियत कर दी। राज्य में निकायों के कार्यकाल एक दिसंबर 2023 को समाप्त हो जाने के बाद सभी नगर निकायों पर प्रशासकों की नियुक्ति कर गयी है।
बता दें कि अक्टूबर में जसपुर निवासी मोहम्मद अनीस ने निकाय चुनाव कराने को लेकर तथा राजीव लोचन साह ने निकायों में प्रशासक की नियुक्ति को असंवैधानिक करार देते हुए सरकार के निर्णय को निरस्त करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि एक दिसंबर 2023 को नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त होते ही प्रशासकों की नियुक्ति संबंधी शासनादेश 30 नवंबर को जारी किया गया था। सरकार निकाय चुनाव कराने में टालमटोली कर रही है।