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दीपावली पर मां लक्ष्मी के साथ क्यों नहीं की जाती भगवान विष्णु की पूजा?

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को इस सृष्टि का पालनहार माना गया है। तो माता लक्ष्मी को सुख-समृद्धि व धन की देवी माना गया है। सभी देवताओं के पूजा का विशेष दिन होता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस दिन मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी की विशेष उपासना से सालभर सुख-समृद्धि और धन की कमी नहीं होती है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान श्री गणेश और भगवान कुबेर की पूजा का भी विधान है। लेकिन, इस दिन मां लक्ष्मी जी के साथ भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है।

क्यों नहीं होती भगवान विष्णु की पूजा

शस्त्रों द्वारा पौराणिक कथाओं के अनुसार, दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान श्री हरि की पूजा नहीं की जाती है। इसके पीछे तर्क है कि दिवाली का त्योहार चातुर्मास के बीच आता है और चातुर्मास में भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते हैं। इस वजह से भगवान विष्णु किसी धार्मिक कार्य में उपस्थित नहीं होते हैं, इसलिए दिवाली पर मां लक्ष्मी बगैर भगवान विष्णु के घर-घर पधारती है और कृपा बरसाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, तब मां लक्ष्मी और भगवान श्री हरि की एकसाथ पूजा की जाती है।

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दीवाली पर मां लक्ष्मी के साथ क्यों होती है गणेश जी की पूजा

मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा जरूरी है। माता लक्ष्मी श्री, अर्थात धन-संपादा की स्वामिनी हैं, वहीं श्री गणेश बुद्धि-विवेक के. बिना बुद्धि-विवेक के धन-संपदा प्राप्त होना दुष्कर है। माता लक्ष्मी की कृपा से ही मनुष्य को धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी की उत्पत्ति जल से हुई थी और जल हमेशा चलायमान रहता है, उसी तरह लक्ष्मी भी एक स्थान पर नहीं ठहरतीं। लक्ष्मी के संभालने के लिए बुद्धि-विवेक की आवश्यकता पड़ती है। बिना बुद्धि-विवेक के लक्ष्मी को संभाल पाना मुश्किल है। इसलिए दिवाली पूजन में लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा की जाती है। ताकि लक्ष्मी के साथ बुद्धि भी प्राप्त हो। कहा जाता है कि जब लक्ष्मी मिलती है तब उसकी चकाचौंध में मनुष्य अपना विवेक खो देता है और बुद्धि से काम नहीं करता। इसलिए लक्ष्मी जी के साथ हमेशा गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।

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