क्या आप जानतें हैं कि उल्लू ही क्यों बना माता लक्ष्मी का वाहन? अगर नहीं जानते तो हम आपको बताएंगे कि उल्लू माता लक्ष्मी का वाहन कैस बना। हिंदू धर्म में जिस प्रकार सभी देवी-देवताओं का वाहन कोई न कोई पशु-पक्षी होता है। हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी धन की देवी मानी गई हैं। जिस पर इनकी कृपा हो जाए उसके पास धन, ऐश्वर्य, समृद्धि, सुख की कमी नहीं रहती। उसी प्रकार मां लक्ष्मी ने अपने वाहन के रूप में उल्लू पक्षी को चुना। दीवाली का त्यौहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा और दीवाली के दिन उल्लू के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है।
मां लक्ष्मी का वाहन
उल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है, इसलिए उल्लू का दिखना बहुत अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि उल्लू आर्थिक समृद्धि का सचूक होता है।
उल्लू ऐसे बना मां लक्ष्मी का वाहन
शस्त्रों के अनुसार मन जाता है कि देवी लक्ष्मी ने सभी पशु-पक्षियों से कहा कि वह कार्तिक अमावस्या पर धरती पर आएंगी और अपने वाहन का चुनाव करेंगी। उस समय जो भी पशु-पक्षी मुझ तक सबसे पहले पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी। कार्तिक अमावस्या पर सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए लक्ष्मी जी की राह निहारने लगे। अमावस्या की काली रात में देवी लक्ष्मी धरती पर पधारीं तभी उल्लू ने काले अंधेरे में भी अपनी तेज नजरों से उन्हें देख लिया और तीव्र गति से उनके समीप पहुंच गया। इसके बाद लक्ष्मी जी उल्लू को अपना वाहन स्वीकार किया। मां लक्ष्मी को तभी से उलूक वाहिनी भी कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में उल्लू को लेकर कई मान्यता है। माता लक्ष्मी की सवारी उल्लू को भारतीय संस्कृति में शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, उल्लू सबसे बुद्धिमान निशाचारी प्राणी होता है।