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आखिर क्यों मिल रहा है बलूनी को गढ़वाल में इतना जनसमर्थन?

बीजेपी ने अपने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी को उत्तराखंड की पौड़ी गढ़वाल सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। बलूनी उत्तराखंड के युवा नेताओं में एक ऐसे नेता हैं जिनकी पहचान उनके विजन को लेकर है। बलूनी अपने विकास कार्यों के लिए जाने जाते हैं। जब से बीजेपी ने बलूनी को गढ़वाल से अपना उम्मीदवार बनाया गया है तब से उन्हें जबरदस्त जन समर्थन मिल रहा है। और इसके पीछे बलूनी की वो मजबूत छवि है जो उन्होंने अपनी जमीनी और विजन वाली राजनीति से बनाई है। बलूनी ने बीजेपी का राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राज्यसभा सांसद रहते जो विकास कार्य किए उससे उनकी राज्य में एक अलग छवि है।

अनिल बलूनी ने अपनी खराब सेहत के बावजूद अपने राज्यसभा सांसद के कार्यकाल के दौरान पलायन को रोकने के लिए अब तक के सबसे गंभीर मुहीम चलाई। उन्होंने प्रवासी उत्तराखंडियों से अपना वोट अपने गांव में देने की अपील की। साथ ही ईगास यानी बूढ़ी दिवाली जैसे परंपरागत त्यौहार को पूरे देश में चर्चित कर दिया। यही नहीं देवभूमि को विज्ञान का बड़ा केंद्र बनाने के लिए भी उन्होंने हाल ही में अपनी सांसद निधि से 15 करोड़ रूप पौड़ी में बनने वाले तारा मंडल म्यूजियम के लिए दिए। जिससे एक वर्ल्ड क्लास म्यूजियम पौड़ी में बनकर तैयार होगा। यही नहीं अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर उन्होंने सेना के अस्पतालों के दरवाजे भी उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए खोल दिए। अपने छोटे से कार्यकाल में बलूनी के ये बड़े काम उन्हें जनता का चहेता बना रही है।

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रामनगर में बलूनी ने कई विकास कार्य

गढ़वाल संसदीय सीट से अनिल बलूनी के जीतने पर रामनगर की जनता को उम्मीद है कि यहां विकास कार्य तेज होंगे। राज्यसभा सांसद रहते हुए उन्होंने रामनगर में कई विकास कार्य किए हैं। बलूनी जब राज्यसभा सांसद थे तब उन्होंने रामनगर में बस पोर्ट, धनगढ़ी और पनोद नाले पर पुल, रामनगर के अस्पताल में आईसीयू बेड, ढेला में रेस्क्यू सेंटर की स्वीकृति कराई। साथ ही टोंगिया ग्राम को राजस्व ग्राम बनाने, पर्यटन में हाथीडगर नया पर्यटन जोन खोलने, हाथीडगर कानिया नाला पर पुल निर्माण, चुकुम गांव में बाढ़ सुरक्षा कार्य सहित आदि कार्य किए गए।

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कैंसर को मात देकर जनता के बीच हैं बलूनी!

मार्च 2018 में अनिल बलूनी राज्यसभा सांसद मनोनीत हुए। लेकिन इसके बाद उनके जीवन में एक बेहद कठिन दौर आ आया। जब उन्हें कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया। उनकी बीमारी की खबर ने उत्तराखंड के मायूस कर दिया। लेकिन बलूनी ने हार नहीं मानी। तकरीबन एक साल के ट्रीटमेंट के बाद उन्होंने कैंसर को मात दे दी। और आज वो फिर से जनता के बीच हैं। हालांकि कांग्रेस ने बलूनी की टक्कर में अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को चुनावी मैदान में उतारा है। लेकिन कमजोर पार्टी संगठन गोदियाल के सामने एक बड़ी चुनौती है।

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