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जंगल के पानी पर बाघों का कब्जा! इंसानों से पानी मांग रहे हैं छोटे..

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गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी की कमी होने लगी है। पानी को लेकर संकट खड़ा हो गया है। वहीं पानी को लेकर सिर्फ इंसान ही संघर्ष नहीं कर रहे बल्कि जंगली जानवर भी इस संघर्ष से जूझ रहे हैं। वन विभाग ने जंगलों में पानी की कमी दूर करने के लिए वाटर होल तैयार किए हैं। लेकिन इन वाटर होल में बाघ और गुलदारों ने कब्जा कर लिया है। जिसके छोटे जानवर पानी को तरस रहे हैं। क्योंकि डरकर छोटे जानवर इन पानी वाली जगहों पर पानी पीने नहीं जा रहे। उत्तर-प्रदेश में मौजूद दुधवा नेशनल पार्क और उत्तराखंड के तराई-भाबर के जंगलों में ऐसा ही देखने को मिल रहा है।

जंगलों में जलस्रोतों और ‘वाटर होल’ के पास बाघों का डेरा है और वे उसमें अटखेलियां कर रहे हैं। इनके डर से छोटे वन्यजीव पानी के लिए बस्तियों की ओर आ रहे हैं। दक्षिण खीरी के महेशपुर रेंज में जंगली शुकर, चीतल कई बार बस्ती की ओर आ चुके हैं।

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बढ़ती गर्मी को देखते हुए वन विभाग ने जंगल में जलस्रोत बनाए हैं। इनको ‘वाटर होल’ नाम दिया गया है। यहां वन विभाग कृत्रिम तौर पर पानी भरवाकर वन्यजीवों की प्यास बुझा रहा है। दुधवा में 37 और दक्षिण खीरी में 12 जगह पर ‘वाटर होल’ बनाए गए हैं। वैसे तो इन ‘वाटर होल’ पर जंगल के सभी वन्यजीव पानी पीते हैं लेकिन बाघों का इनके पास ही डेरा है।

दुधवा के किशनपुर से तो बाघों की पानी में अठखेलियां करती तस्वीरें भी आईं। इस कारण छोटे वन्यजीव जंगल से बाहर निकल रहे हैं। दक्षिण खीरी के महेशपुर वन रेंज में एक हफ्ते में दो बार जंगली शुकर व चीतल बाहर आ चुके हैं। जंगली शुकरों ने तीन को घायल भी किया। माना जा रहा है कि बाघों की ‘वाटर होल’ के पास मौजूदगी से ही छोटे वन्यजीव जंगल से बाहर निकले हैं।

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जानकारी देते हुए दक्षिण खीरी के डीएफओ संजय विश्वाल ने बताया कि जंगल के बाहरी क्षेत्र में भी ‘वाटर होल’ बनाए जा रहे हैं, जिससे छोटे वन्यजीवों को प्यास के चलते बाहर न निकलना पड़े।

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